Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 28
________________ ( ७ ) मौलाना मोहम्मद व शौकत ने श्रा के कहा । गांधीजी बोले क्या भारत में बाकी रहा ॥ बोले सुभाषचन्द पूरा करो अपना कहा । होंगे स्वतंत्र दुःख अब तो नहीं जावे सहा ॥ यही हम ने ठानी ॥ बोल उठे... हिटलर ने वार किया छक्के छुडा दिये । लाखों घमंडियों के मस्तक झुकाय दिये ॥ लन्दन के गोरों ने फिर से नये वादे किये । देंगे स्वराज तुम्हें साथ सदा तुमने दिये ॥ न होगी बेईमानी ॥ बोल उठे... बोले जवाहरलाल भारत के वीरों से । ले लिया स्वराज बिना तरकस ब तीरों से । हमको है गर्व ऐसे भारत रणधीरों से ॥ आजाद हिन्द फौज जैसे बांके बलबीरों से । ___ अमर हो गई कहानी ॥ बोल उठे.. जैन प्रार्थना प्रार्थना नाथ मेरे चित्त में शुभ भावना भर दीजिये । हे दयासागर दया कर यह मुझे वर दीनिये ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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