Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 18
________________ विषय x विषयानुक्रमणिका पृष्ट विषय पृष्ठ १ वन्दे मातरम् ११८ पार्श्व प्रभू तुम हमके १५ २ जन गण मन अभि- २ १६ प्रभू जय से मेरा मन १५ ३ सारे जहां से अच्छा २ २० अब मोहे तारोगे दीन १६ ४ मेरी भावना ३२१ निरञ्जन यार मुझे १६ ५ बोल उठे जयहिन्द ६ २२ आनन्द रूप भगवन १६ ६ नाथ मेरे चित्त में ७ १८ दरश मोहे दीजे दीन १७ ७ जय जय प्यारे वीर ८१६ जगत गुरु ऋषभदेव १७ ८ प्रेमी बन कर प्रेम से ६ २५ शीतल जिन मोहे प्यारा १८ ६ अर्ज करूं जिनराज १० २६ जगत गुरु तुही पर १८ १० ऊधो करमन की गति १० २७ चेत चित में चेत चेतन १८ ११ उठ जाग मुसाफिर ११ २८ मैं सादर शीश नमाता १६ १२ इस तन धन की कौन ११ २६ हे नाथ दीनबन्धु १६ १३ निराकार है या कि १२ ३० महावीर यह विनय है २० १४ जिनदेव तेरे चरण में १३ ३१ नित हम तुम्हें १५ प्रभु मोहे ऐसी करो १३ ३२ जयजिनेन्द्र १६ मंगल मंदिर खोलो १४ ३३ प्रभू तुम दर्शन से १७ प्रातःकालीन प्रार्थना १४ ३४ क्या करूं ? २२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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