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महात्मा जाति की पत्र उन्नति हो रही है । शिक्षा व कला की वृद्धि के साथ धार्मिक भावना भी बढ रही है मालवा, मेवाड, मारवाड तथा गुजरात में महात्माओं की काफी प्रतिष्ठा है । ये लोग ज्योतिष वैद्यक व शिक्षक का का कार्य करते हैं । जहां साधु मुनिराज नहीं पहुंच पाते हैं वहाँ पर्युषण पर्व में व्याख्यान देते हैं और धर्म में पूरी श्रद्धा रखते हैं कितनों के घरों में घरदेरासरजी भी होते हैं । मंदिरों की संभाल व साधु महाराज की भक्ति का लाभ भी लेते हैं ।
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जैन समाज का कर्तव्य है कि इस जाति को अपनावे तथा विवाह प्रतिष्ठादि कार्यों में वैष्णव ब्राह्मणे की जगह महात्माओं को ही बुलावें । ये जैन पंडित लोग श्रद्धा से व निज का धर्म जान कर दिलचस्पी से काम करते हैं । इनके बच्चों को पढ़ाने की तरफ समाज ध्यान दे तो साधु मुनिराओं को पढाने के लिये वैष्णव पंडितों का मुंह न ताकना पडे । इस संगठन के काल में समाज पूरी एकता बढावे, अनेक मतमतान्तरों वाली जैन जाति एक होगी तभी धर्म व तीर्थो की रक्षा होगी ।
-- कुन्दनमल डांगी
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