Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 15
________________ ( ज ) पुर के महराणाजी ने किया । सरदारगढ में रावत संग्रामसिंहजी ने १८३७ में सन्मान व जागीर भेंट की । देलवाडे में सं० १८७० में महाराणा कल्याणसिंहजी ने ८॥ बीघा जमीन भेंट की। इनके वंशज शिवराज जी को महाराणा फतहसिंहजी ने सं० १९२० में देलवाडे में १५ बीघा जमीन भेंट की। इनके मकान को राज पोसाल राज्यगुरुद्वारा के नाम से पुकारते हैं । जिनका सन्मान महलों के बराबर है । जहां पर देरासर हैं व जिन-प्रतिमा जी को सदा पूजन होती है । शिवराजजी के पुत्र श्री रूपलालजी थे उनके पुत्र महात्मा श्रीलाल जी आज भी राज्यगुरु व राज्य ज्योतिषी का काम करते हैं जिनकी मान प्रतिष्ठा राज में, गांव में, व जाति में बनी हुई है। इनके चारों पुत्र अच्छे पढे लिखे सदाचारी धर्मात्मा हैं । श्री दीपचन्दजी चितौड के पास बरूंदनी गांव में सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक वैद्य हैं। श्री फतहचन्दजी चित्तौड जैन गुरुकुल में सुप्रिन्टेन्डेन्ट व चित्तौड धर्मशाला में मैनेजर हैं इसके अतिरिक्त आप भारतीय स्वयंसेवक परिषद की स्थाई समिति के मेम्बर भी हैं। श्री जैन श्वेताम्बर कांफ्रेस फालना में प्रापने बहुत कुछ भाग लिया और “जैन तीर्थ व जिन मन्दिरों के प्रति सरकारी कानून" विषयक प्रस्तावों का अनुमोदन किया और महात्मा जाति का सविस्तार परिचय भी कराया । इस Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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