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(छ) बटमाषल मादि के राज्यगुरु भी महात्मा ही है ।
मेवाड में कानोड, सरदारगढ, प्रामेट, कोठारिया देलवाडा प्रादि के राज्यगुरु भी महात्मा ही हैं जिनका विस्तृत हाल महात्मा वक्तावरलालजी साहब ने अपने जातीय इतिहास में लिखा है, उसमें पट्टे परवाने भी दिये है ।
देलवाडे में राजाओं के गुरु महात्मा बहुत ही विद्वान व राज्य के हितैषी हुए हैं। जिसकी वजह से बहुत सन्मान पाये थे । प्राचीन काल में तो इन का सन्मान था ही मगर संवत् १६४२ विक्रमी के बाद भी वैसा ही बना रहा । महाणा राघवदेवजी ने गुरु जी नरपतिजी को ११ बीघा जमीन भेंट की । महाराणा जेताजी ने महात्मा कर्मचन्दजी को ११ बीघा संवत् १७३५ में भेंट की ।
दरबार के गुरु रूप एकलिंगजी के गुंसाई प्रगासा नन्दजी ने श्री महात्मा कर्मचन्दजी को ४ बीघा जमीन १७६१ में भेंट की तथा गुसाईजी द्राक्षानन्दजी ने महात्मा डूंगाजी को १८०८ में २ बीघा जमीन भैठ की । जिनकी पुष्टी उदयपुर के महाराना भीमसिंहजी ने महात्मा तिलोक चन्दजी देवीचन्दजी के नाम पर १८५४ में की। इस वंश में गुरुजी रतनजी महात्मा बहुत ही प्रभावशाली दुए जिनका सम्मान ७ ठिकानों के राजाओं व स्वयं उदय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com