Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 11
________________ घ ) के लिये ज्योतिषियों को बुलाया और उन्होंने पार्श्वनाथ भगवान की स्तुति कर सत्र स्वप्नों का फल सुनाया वे जैन धर्मावलम्बी महागा ही थे । सिद्धार्थ राजा के घर प्रभू महावीर का जन्म हुआ तब भी ऐसा ही हुआ । सूर्य चन्द्र के दर्शन करा व माता व पुत्र को श्राशीर्वाद देने वाले भी वही कुलगुरु महाणा थे जिनका सत्कार राजा और राणी ने किया था । जैन धर्मावलम्बी के घर पर संस्कार व विवाहादि शुभ कार्य कराने के लिये जैन पण्डित व ब्राह्मण की ही घ्यावश्यकता होती हैं न कि वैष्णव की । कारण कि दोनों धर्मो में विरुद्धता होने से आचार विचार व मंत्र शास्त्रों में भिन्नता है । प्राचीन काल में यही रीति चली आती है । दोनों धर्मो के देव भिन्न है अतः विधि भी भिन्न है । महाणा शब्द प्राकृत का है जिसका अर्थ ब्राह्मण होता है । पहले सभी जैन धर्म ही पालते थे परन्तु सुविधि माथ भगवान के पश्चात् धर्मविच्छेद के बाद बहुत से राजाओं ने तथा उनके गुरु ब्राह्मणों ने धर्म परिवर्तन कर लिया था तबसे महाणा या ब्राह्मण जैन तथा वैष्णव दो प्रकार से जाने जाते थे। दिन प्रतिदिन उनकी कटु बढ़ती जाती थी । वैष्णवों मे प्राडम्बर बढा कर खूब प्रचार किया । महाणा शान्त होने से अधिक खटपट म करते थे । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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