Book Title: Karmagrantha Part 1
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 13
________________ गाया १० दर्शनावरण कर्म का स्वरूप दर्शन के भेद और उनके आवरणों के नाम व लक्षण गाथा ११, १२ पाँच निद्राओं के नाम व उनके लक्षण बेदनीयकर्म का स्व ( १३ ) गाथा १३ देव आदि चार गतियों में वेदनीयकर्म के उदय की तरतमता मोहनीय कर्म का स्वरूप और उसका कार्य मोहनीयकर्म के भेद और उनके लक्षण गाथा १४ दर्शनमोहनीय के भेद और उनके लक्षण दर्शनीय के भेदों की मावरण शक्ति व दृष्टान्त गाथा १५ जीव आदि नवतत्त्वों के लक्षण सम्यक्त्व के भेद और उनके लक्षण गाथा १६ मिश्रमोहनीय की व्याख्या और दृष्टान्त मिथ्यात्वमोहनीय का लक्षण व भेद पृष्ठ ५८-५६ ५८ ५८ ६०-६३ ६१ ६२ ६३-६६ ६३ ६५. ६५ ६६-६६ ६७ ६८ ६६-७४ ६६ ७२ ७५-७७ ७५ ७६ ७७८१ गाथा १७ ७७ चारित्रमोहनीय कर्म के भेदों के नाम errett के भेद, लक्षण और उनके चार प्रकार होने के कारण ७८ अनन्तानुबन्धी आदि कषायों के लक्षण १७८ नोपायमोहनीय का लक्षण ८१

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