Book Title: Karmagrantha Part 1
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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पृष्ठ
२४-३२
refore, ईहा अवाय, धारणा के लक्षण और भेद
+
२४
२६
मतिज्ञान के ३३६ और ३४० भेद और उनके होने के कारण औत्पत्तिकी बुद्धि आदि अश्रुतनिश्रित मतिज्ञान के चार भेद व लक्षण ३२
गाथा ५.
गाथा ६, ७
( १२ )
श्रुतज्ञान के चौदह और बीस भेदों के नाम श्रुतज्ञान के चौदह भेदों के लक्षण सपर्यवसित और अधि भुतज्ञान के बीस भेदों के नाम श्रुतज्ञान के बीस भेदों के लक्षण
गाथा द
अवधिज्ञान के भेद और लक्षण
भवप्रत्यय और गुणप्रत्यय अवधिज्ञान में अन्तर गुणप्रत्यय अवधिज्ञान के भेद और उनके लक्षण अवधिज्ञान का द्रव्यादिचतुष्टय की अपेक्षा वर्णन मनः पर्यवज्ञान के भेद और उनके लक्षण
ऋजुमति और विपुलमति मनः पर्यवज्ञान में अन्तर अवधिज्ञान और मनःपर्ववज्ञान में अन्तर
केवलज्ञान की विशेषता
शक्ति की अपेक्षा एक साथ कितने ज्ञान ?
गाया है
३३-४३
३३
૪
३८
૪૨
४२
ज्ञानावरण कर्म का स्वरूप
ज्ञानावरण कर्म के भेद और उनके लक्षण
मतिज्ञानावरण आदि पाँच भेदों में कौन देशघाती और सर्वघाती ?
दर्शनावरण कर्म के भेदों की संख्या
४४-५४
K
૪૫
४६
૪૨
५०
५१
५२
५.३
५३
५५-५८
५५
५६
५७
५८