Book Title: Karmagrantha Part 1 Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti JodhpurPage 11
________________ 1 द्रव्यकर्म और भावकर्म कर्मबन्ध के कारण *मंन्ध के कारणों के लक्षण कर्मबन्ध के कारणों की संख्याओं की परम्परा सम्बन्धी स्पष्टीकरण गाधा २ ( ११ ) कर्मवन्ध के चार प्रकार कर्मबन्ध के चार प्रकारों के लक्षण व दृष्टान्त कर्म की मूल एवं उत्तरप्रकृति का लक्षण और उनकी संख्या गाथा ३ गाया ४ कर्म की मूल प्रकृतियों के नाम कर्म की मूल प्रकृतियों - ज्ञानावरण आदि के लक्षण ज्ञानावरण आदि आठ कर्मों के घाति और अघाती भेद और कारण ज्ञानावरण आदि आठ कर्मों को उत्तर प्रकृतियों की संख्या ज्ञान के पाँच भेदों के नाम मतिज्ञान और श्रुतज्ञान के लक्षण मतिज्ञान और लज्ञान में अन्तर अवधिज्ञान का लक्षण मनः पर्यवज्ञान का लक्षण मनः पर्यवज्ञान की विशेषता केवलज्ञान का लक्षण मतिज्ञान आदि पाँच ज्ञानों में परोक्ष और प्रत्यक्ष प्रमाण मानने का कारण मतिज्ञान के भेद व्यंजनावग्रह का लक्षण और उसके भेद पृष्ठ ५ ५ W ८ ६-१२ € १० १२ १२-१५ १२ १४ १५ १. ५ १६-२४ ܀܀ શ્ १७ १७ १८ & wa २० २१ २२Page Navigation
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