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उत्तर भारत के जैन तीर्थं
-की कृपादृष्टि ! से यह समृद्धशाली नगरी पूर्णरूपेण सदैव के लिए उजड़ गयी । कौशाम्बी नगरी को इलाहाबाद शहर से दक्षिण-पश्चिम में ३० मील दूर स्थित कोसम नामक स्थान से समीकृत किया जाता है ।" यहाँ दोनों सम्प्रदायों के अलग-अलग जिनालय विद्यमान हैं, जो वर्तमान युग के हैं ।
५. चन्द्रावती
जैन परम्परा में भगवान् चन्द्रप्रभ आठवें तीर्थङ्कर माने गये हैं । उनके च्यवन, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान - ये ४ कल्याणक चन्द्रावती ( चन्द्रपुरी) नामक नगरी में सम्पन्न हुये थे, ऐसा जैन परम्परा के दोनों सम्प्रदायों के प्राचीन ग्रन्थों में उल्लेख है । यद्यपि ये सभी ग्रन्थ इस नगरी की भौगोलिक अवस्थिति का कोई संकेत नहीं करते हैं ।
आचार्य जिनप्रभसूरि ने इस नगरी के सम्बन्ध में प्रचलित जैन मान्यताओं का उल्लेख करते हुये सर्वप्रथम इसकी भौगोलिक अवस्थिति
१. जैन, जगदीशचन्द्र -- भारतवर्ष के प्राचीन जैन तीर्थ, २. तीर्थदर्शन, भाग १, पृ० १०० । ३. ( अ ) समवायाङ्ग, १५७; आवश्यकचूर्णी ३८२; ( ब ) चंद्रपहा चंदपुरे जादो महसेणलच्छिमइआहिं । पुस्सस्स किण्हएयारसिए अणुराहण क्खत्ते ||
चन्द्राभं चन्द्रपुर्यां
तिलोय पण्णत्ती ४।५३३
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पृ० ३७ ।
पद्मपुराण ९९।१४६
वराङ्गचरित २७/८२
चन्द्रप्रभश्चन्द्रपुरे प्रसूतः
वन्द्या चन्द्रपुरी चन्द्रप्रभो नागतरुगिरिः । सोऽनुराधा महासेनो लक्ष्मणा जननी सताम् ||
तस्मिन् षण्मासशेषायुष्या गमिष्यति भूतले । द्वीपेऽस्मिन् भारते वर्षे नृपश्चंद्रपुराधिपः ||
हरिवंशपुराण ६०।१८९
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उत्तरपुराण ५४।१६३
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