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जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन
१९३ ९-वि० सं० १५०५ माघ वदि ९ शनिवार
जिनालय में मूलनायक महावीरस्वामी की पालथी के ऊपर सम्मुख भाग में उत्कीर्ण लेख जिसमें ज्ञानकीय ( नाणकीय ) गच्छ के आचार्य शांतिसरि द्वारा महावीर स्वामी की प्रतिमा प्रतिष्ठापित
करने का उल्लेख है। १०-वि० सं० १५०५ माघ वदि ९...... जिनालय में मूलनायक महावीर स्वामी के पालथी के ऊपर दूसरी
ओर उत्कीर्ण लेख । ११ १२-वि० सं० १५०६ माघ वदि १० गुरुवार
जिनालय में मूलनायक के परिकर की चरणचौकी पर एवं मूल
नायक के वायीं ओर कायोत्सर्ग प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख । १३-वि० सं० १५१२ फाल्गुन सुदि ८ शनिवार
धर्मनाथ की धातु चौबीसी पर उत्कीर्ण लेख । १४-वि० सं० १५१३ वैशाख सुदि १० गुरुवार
पार्श्वनाथ की धातु की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख। १५-वि० सं० १५१५ माघ सुदि १५
संभवनाथ की प्रतिमा का लेख । १६-वि० सं० १५३० माघ वदि ६
संभवनाथ की प्रतिमा का लेख । १७-वि० सं० १५३४ माघ सुदि ९
वासुपूज्य की प्रतिमा का लेख । १८-वि० सं० १५७२ वैशाख सुदि ५ सोमवार
पार्श्वनाथ की प्रतिमा का लेख जिसमें संडेरगच्छीय शांतिसूरि
द्वारा प्रतिमा प्रतिष्ठापित करने की चर्चा है । १९-वि० सं० १६२२ वैशाख सुदि ३ सोमवार
पार्श्वनाथ की प्रतिमा का लेख । २०-वि० सं० १६२३ वैशाख शुक्रवार
शांतिनाथ की प्रतिमा जिसमें तपागच्छीय हरिविजयसूरि द्वारा
उक्त प्रतिमा की प्रतिष्ठा की चर्चा है। २१-वि० सं० १६३० वैशाख वदि ८
आदिनाथ की प्रतिमा का लेख ।
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