Book Title: Jain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 344
________________ जैनतीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन २९१ -- टीका (मलयगिरि), भाग १, बम्बई १९२८ ई०; भाग २, बम्बई १९३२ ई०; भाग ३, सूरत १९३६ ई० । उत्तराध्ययन (उत्तरज्झयण), संपा०साध्वी चन्दना, आगरा, १९७२ ई०; -- नियुक्ति ( भद्रबाहु) -- चूर्णी ( संघदासगणि ), रतलाम, १९३३ ई०; -- टीका ( शान्तिसूरि ), बम्बई, १९१६ ई०; -- अंग्रेजी अनुवाद, हर्मन जैकोबी, सैकेट बुक्स ऑफ द ईस्ट, जिल्द ४५, द्वितीय संस्करण, दिल्ली, १९६४ ई० । उपासगदशा ( उवासगदसाओ)--संपा० मुनि मधुकर, व्यावर, १९८० ई०; औपपातिक ( उववाई सूत्र), संपा० अनुवादक, अमोलकऋषि, हैदरा __ बाद, वीर सम्बत् २४४२-४६ । कल्पसूत्र ( पज्जोसणाकप्प), संपा० और हिन्दी अनुवादक-महोपाध्याय विनयसागर, जयपुर, १९७७ ई०; .. -- टीका ( समयसुन्दर गणि ), बम्बई, १९३९ ई०; -- अंग्रेजी अनुवाद, हर्मन जैकोबी, सैकेड बुक्स ऑफ द ईस्ट, जिल्द २२, द्वितीय संस्करण, दिल्ली, १९६४ ई० । ज्ञातृधर्मकया (नायाधम्मकहा) संपा० मुनिमधुकर, व्यावर १९८० ई०; -- टीका (अभयदेव), आगमोदय समिति, बम्बई, १९१९ ई० दसवैकालिक ( दसवेयालिय), संपा० अनुवादक--आत्माराम जी, लाहौर, १९४६ ई०; __--- चूर्णी, (जिनदासगणि ), रतलाम, १९३३ ई० । -- वृत्ति ( हरिभद्र ), बम्बई, १९१८ ई०; निरयावलिया--संपा० मुनि कन्हैयालाल जी, हिन्दी अनु०, घासीलाल जी, राजकोट (सौराष्ट्र), द्वि०सं० १९६० ई०; निशीथ-- --- चूर्णी ( जिनदासगणि), संपा० उपाध्याय अमर मुनि तथा मुनि कन्हैयालाल, भाग १-४, आगरा, १९५७-६० ई०; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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