Book Title: Jain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 347
________________ २९४ सहायक ग्रन्थसूची धर्मोपदेशमालाविवरण ( जयसिंह सूरि ), संपा० लालचन्द भगवान दास गांधी, बम्बई, १९४९ ई०। निर्वाणकलिका ( पादलिप्तसूरि ), संपा० मोहनलाल भगवान दास, बम्बई, १९२६ ई०।। पउमचरिउ ( विमल ), संपा० मुनि पुण्य विजय, भाग १-२, वाराणसी, १९६२-६८ ई०। पद्मपुराण ( रविसेण ) संपा०- पन्ना लाल जैन, भाग १-३ वाराणसी १९५९ ई०। परिशिष्टपर्व ( हेमचन्द्र ), संपा० हर्मन जैकोबी, कलकत्ता, १९३२ ई० पार्श्वनाथचरित्र (भावदेवसूरि), संपा० हरगोविन्ददास तथा बेचरदास, वाराणसी, १९११ ई०।। पासनाहचरिउ ( पद्मकीत्ति ), संपा० पी० के० मोदी, वाराणसी १९६५ ई०। पाइयसद्दमहण्णवो ( पं० हर गोविन्ददास ) संपा० वासुदेवशरण अग्रवाल तथा दलमुख मालवणिया, द्वि०सं० वाराणसी, १९६३ ई० । पुरातनप्रबन्धसंग्रह-संपा० मुनि जिन विजय, कलकत्ता, १९३६ ई० । प्रतिष्ठासारोद्धार ( आशाधर ), संपा० मोहनलाल शास्त्री, बम्बई, वि०सं० १९७४ ।। प्रबन्धचिन्तामणि ( मेरुतुङ्ग), संपा० मुनि जिनविजय, शान्तिनिकेतन, १९३३ ई०। प्रभावकचरित ( प्रभाचन्द्र ), संपा० मुनि जिन विजय, अहमदाबाद कलकत्ता १९४० ई० । प्रबन्धकोश (राजशेखर), संपा० मुनि जिनविजय, कलकत्ता, १९३५ ई० प्राचीनतीर्थमालासंग्रह, संपा० -विजयधर्मसूरि, भावनगर, वि० सं० १९७८ । वृहत्कथाकोश ( हरिषेण ), संपा० ए०एन० उपाध्ये, वम्बई, १९४३ ई० वसुदेवहिण्डी ( संवदासगणि), संपा० मुनिपुण्यविजय, भाग १-२, भाव नगर, १९३०-३१ ई० । विविधतीर्थकल्प ( जिनप्रभसूरि ), संपा० मुनि जिनविजय, कलकत्ता, १९३४ ई०। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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