Book Title: Jain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 350
________________ जैनतीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन २९७ बीकानेर जै नलेखसंग्रह, संरा० अगरचन्द नाहटा, भंवरलाल नाहटा, कलकत्ता, १९५५ ई०। राधनपुरजैनलेखसंग्रह, संपा० मुनि विशाल विजय, भावनगर, १९६० ई०। श्रीजैनप्रतिमालेखसंग्रह, संपा० दौलत सिंह लोढ़ा, धामणिया मेवाड़, १९५१ ई०। ब्राह्मणीय ग्रन्थ अष्टाध्यायी (पाणिनि ), संपा० श्रीशचन्द्र बसु, दिल्ली, १९६२ ई० । कथासरित्सागर ( सोमदेव ), बम्बई, १९३० ई०।। हिन्दी अनुवाद, भाग १-२, अनुवादक- पंडित केदारनाथ शर्मा, पटना, १९६०-६१ ई० । दशकुमारचरित ( दण्डी), संपा० गोडवोले और शर्मा, बम्बई, १९३६ ई०। महाभारत ( संपा० ) बी० एस० सुकथणकर और एस० के० वेलवरकर भाग १-१७, पूना, १९३३-६१ ई० । महाभाष्य ( पतंजलि ) संपा० कील हार्न, बम्बई, १८९२-१९०९ ई० । रामायण - अंग्रेजी अनुवादक, एम० एन० दत्त, कलकत्ता, १८९५ १९०५ ई०। स्कन्दपुराण ( भाग १-७), वेंकटेश्वर प्रेस, बम्बई वि० सं० १९०५ १९६६ । विष्णुपुराण-अंगेजी अनुवादक, एच० एच० विल्सन, भाग १-५, लन्दन, १८६४-७० ई० । बौद्ध ग्रंथ डिक्शनरी ऑफ पाली प्रापर नेम्स-(भाग १-२), जी० पी० मलाल सेकर, लंदन, १९३७-३८ ई० । बुद्धचर्या-संपा० राहुल सांकृत्यायन, सारनाथ, बनारस, १९५२ ई० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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