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(ब) गुजरात-सौराष्ट्र
१. अजाहरा कल्पप्रदीप के "चतुरशीतिमहातीर्थनामसंग्रहकल्प' के अन्तर्गत अजाहरा का भी उल्लेख है और यहां पार्श्वनाथ के मंदिर होने की बात कही गयी है।
__ अजाहरा आज “अजारी" के नाम से जाना जाता है । यह स्थान दक्षिणी सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में ऊना से ५ किमी० दूर स्थित है।'
अजाहरा का जैन तीर्थ के रूप में संभवतः सर्वप्रथम उल्लेख जिनप्रभसूरि का ही है । गुजरात के सुल्तान अहमदशाह ( ई० सन् १४१११४४३ ) के कृपापात्र श्रेष्ठी गुणराज ने वि. सं. १४९६ में शत्रुजयगिरनार आदि तीर्थों की यात्रा के लिये सुल्तान से फरमान प्राप्त कर एक संघ निकाला था, उसी यात्रा के अन्तिम चरण में उक्त श्रेष्ठी ने अजाहरा, पींडवाड़ा (प्राचीन सिरोही राज्य के अन्तर्गत स्थित ), सालेरा, (प्राचीन उदयपुर राज्य के अन्तर्गत ) आदि स्थानों में स्थित जिनालयों का जीर्णोद्धार तथा नये जिनालयों का निर्माण कराया। यह बात राणकपुर स्थित जिनालय में उत्कीर्ण वि. सं. १४९६ के एक लेख से ज्ञात होता है।
तीर्थमालाचैत्यवंदन ( रचनाकाल वि० सं० १८८० ) में भी इस तीर्थ का उल्लेख मिलता है।
आज यहां ग्राम में महावीर स्वामी का एक जिनालय विद्यमान है, जिसमें ११७ पाषाण की तथा ५३ धातु की प्रतिमायें प्रतिष्ठित हैं। १. पारीख और शास्त्री - पूर्वोक्त, भाग १, पृ० ३४८ ।। २. देसाई, मोहनलाल दलीचंच-जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास,
पृ० ४५७ ।
जिनविजय-संपा० प्राचीनजैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखाङ्क ३०७ । ३. क्राउझे, शालोटे-संपा० ऐन्शेन्ट जैन हीम्स, पृ० ११८ । ४ शाह, अम्बालाल पी०- पूर्वोक्त, तीर्थसूची - संख्या २९११ ।
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