________________
जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन
२३७
उल्लिखित है। इन दानपत्रों में आनन्दपुर वास्तव्य ब्राह्मणों को दान दिये जाने का उल्लेख है।' ये ब्राह्मण यहाँ के नागर ब्राह्मणों के पूर्वज थे। इस नगरी में दीर्घ काल से ही ब्राह्मणों के निवास की परम्परा रही है। आयुर्वेद के भाष्यकार "उव्वट" इसी नगरी के निवासी थे। स्कन्दपुराण के 'नागरखण्ड' में एक स्थान पर इस नगरी का नाम आनंदपुर तथा एक अन्य स्थान पर नगर उल्लिखित है।४ वंथणी सोरठ से प्राप्त वि०सं० १३४६ ई० सन् १२९० के एक अभिलेख में इस नगरी का एक अन्य नाम चमत्कारपुर उल्लिखित है। परन्तु इसका अधिक प्रचलित नाम आनन्दपुर था तथा परवर्तीकाल में नगर, वद्धनगर और वड़नगर आदि नाम प्रचलित हुए।
वड़नगर ब्राह्मणों तथा जैनों का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। नागर ब्राह्मणों का मूल स्थान यहीं है, यहीं उनका प्रसिद्ध हाटकेश्वर तीर्थ स्थित है। __ सिद्धसेनसूरि ने अपने सकलतीर्थस्तोत्र में इस तीर्थ का उल्लेख किया है। यहाँ एक प्राचीन जिनालय विद्यमान है, जो आदिनाथ को
१. आचार्य, गिरजाशंकर वल्लभजी—पूर्वोक्त, लेखाङ्क ७६, पृ० २०१ २. परीख और शास्त्री-संपा० गुजरातनो राजकीय अने सांस्कृतिक
इतिहास भाग १, पृ० ३७० ३. दवे, कन्हैयालाल भाईशंकर--"गुजरातना संस्कृत साहित्यकारो" जर्नल ऑफ द गुजरात रिसर्च सोसाइटी, जिल्द १, खंड १, पृ० ६
पादटिप्पणी-२ ४. स्कन्दपुराण ६-११४--७८ ५. आचार्य, गिरजाशंकर वल्लभजी--पूर्वोक्त, लेखाङ्क २२२ (अ) पृ० २१४ ६. परीख और शास्त्री--पूर्वोक्त, भाग १, पृ० ३७० ७. वही ८. थाराउद्दय-वायड-जालीहर-नगर-खेड-मोढेरे ।
अणहिल्लवाडनयरे व(च)ड्डावल्लीय बंभाणे ।। २७ ।। दलाल, सी० डी० संपा० पत्तनस्थप्राच्यजैनभाण्डागारीयग्रन्थसूची, पृ० १५६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org