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जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन
२४३ रूप में परिवर्तित कर दिया गया। आज यहाँ स्थित निम्नलिखित मस्जिदों में जैन मंदिरों के अवशेष देखे जा सकते हैं । ये मस्जिद हैं
१-जुमा मस्जिद, २–माइपुरी मस्जिद और ३-काजी की मस्जिद।
प्रभास की पहचान वर्तमान सोमनाथ से जाती है।
१५. मोढेरक ( मोढेरा) कल्पप्रदीप के चतुरशीतिमहातीर्थनामसंग्रहकल्प के अन्तर्गत मोढ़ेरक का भी उल्लेख है और यहाँ महावीर स्वामी के जिनालय होने की बात कही गयी है।
मोढेरक आज मोढेरा के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ चौलुक्य नरेश भीम 'प्रथम' द्वारा वि० सं १०८३ में निर्मित प्रसिद्ध सूर्य मन्दिर स्थित है, जो गुजरात के अत्यन्त सुन्दर मन्दिरों में से एक है।२ __साहित्यिक तथा अभिलेखीय साक्ष्यों में मोढ़ेरा का उल्लेख प्राप्त होता है। सूत्रकृताङ्गचूर्णी ( ई० सन् ७वीं शती ) तथा सूत्रकृताङ्गवृत्ति ( शीलाङ्काचार्य-ई० सन् ९वीं शती) एवं स्कन्दपुराण-धर्मारण्य खण्ड ( १३वीं-१४वीं शती ई० सन् ) में इस स्थान का उल्लेख है । मूलराज 'प्रथम' के वि० सं० १०४३/ई० सन् ९८६ तथा भीम 'द्वितीय' के वि० सं० १२३५/ई० सन् ११७८ के दानशासनों में इस स्थान का एक ग्राम के रूप में उल्लेख हुआ है।
मोढेरा जैन तीर्थ के रूप में भी प्रतिष्ठित रहा है। सिद्धसेनसूरि द्वारा रचित सकलतीर्थस्तोत्र (वि० सं० ११२३/ई० सन् १०६७ ) १. ढाकी और शास्त्री-पूर्वोक्त २. सोमपुरा, के• एफ०-द स्ट्रक्चरल टेम्पुल्स ऑफ गुजरात, पृ० १२० ३. सांडेसरा, भोगीलाल-जैन आगम साहित्यमां गुजरात, पृ० १४९ । ४. जोशी, उमाशंकर-पुराणोंमां गुजरात, पृ० १६१ । ५. परीख और शास्त्री -गुजरातनो राजकीय अने सांस्कृतिक इतिहास
भाग १, पृ० ३७२, भाग ४, पृ० ७४ ।। ६. दलाल, सी० डी०-पत्तनस्थप्राच्यजैनभाण्डागारीयग्रन्थसूची,
पृ० १५६ ।
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