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जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन ठहरे।' प्रबंधकोश' के बप्पभट्टिमरिप्रबन्ध' के अन्तर्गत बप्पभट्टिसूरि के गुरुभ्राता गोविन्दाचार्य और नन्नसूरि के सम्बन्ध में इस नगरी की चर्चा है। कलिकालसर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य के माता-पिता श्रीमोढवणिक कुल के थे, इनके कुल का यह नाम इसलिए पड़ा कि ये लोग मोढेर से आये थे । वसंतविलासमहाकाव्य ( रचनाकाल वि० सं० १२९७/ई० सन् १२४० ) के रचयिता श्री बालचन्द्रसूरि मोढ़ ब्राह्मण थे। मन्त्रीश्वर वस्तुपाल की द्वितीय पत्नी मोढ़जातीय थीं।४ जैन ग्रन्थों में यहाँ ब्रह्मशान्ति यक्ष के प्रभावक्षेत्र होने की बात कही गयी है।" मोढेर को गुजरात राज्य के मेहसाणा जिले के चाणस्मा ताल्लुक में स्थित मोढेरा नामक स्थान से समीकृत किया जाता है।
___१६ रामसेन जिनप्रभसूरि ने कल्पप्रदीप के 'चतुरशीतिमहातीर्थनामसंग्रहकल्प'
१. स्वस्ति श्रीमोढेरे परमगुरुश्रीनन्नसूरि-श्रीगोविन्दसूरिपादान् सगच्छान्
गोपगिरिदुर्गात् ........।
"बप्पभट्टिसूरिप्रबन्ध' प्रबन्धकोश, पृ० ४५ । २. बुहलर, जार्ज-लाइफ ऑफ हेमचन्द्र, पृ० ६ । ३. त्रिपुटी महाराज-जैनतीर्थोनो इतिहास, पृ० १७९ । ४. वही, पृ० १७९। ५. (i) एह राहु ( सु ? ) विस्तारिहिं जाए,
राषइ सयल संघ अंबाई। राखइ जाखु जु आछइ खेडइ, राखइ ब्रह्मसंति मूढेरइ। आबूरास (रचनाकार-पाल्हणपुत्र, रचनाकाल वि०सं० १२७९]ई० सन् १२३२) मुनि पुण्यविजय द्वारा संपादित-सुकृतकीर्तिकल्योलिन्यादि
वस्तुपालप्रशस्तिसंग्रह,पृ० १०४-१०८ में प्रकाशित (ii) मोढेरकपुरं ब्रह्मशान्तिस्थापितवीरजिनमहोत्सवाढ्यं प्रापुस्ते ।
"बप्पभट्टिसूरिप्रबन्ध" प्रबन्धकोश, पृ० ३४ ६. परीख और शास्त्री-पूर्वोक्त, पृ० ३७२
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