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जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन ५ -सं० १४९३ चैत्र वदि २ चाहडभार्या कुंती पुत्र. ... ... .
कारापिता॥ प्रतिष्ठास्थान - महावीर जिनालय-तृतीय दरवाजे के ऊपर
उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय-पूर्वोक्त लेखाङ्क ४५७ ६ –संवत् १४९३ वर्षे वैशाख सुदि १३
प्रतिष्ठास्थान-महावीरजिनालय-चतुर्थ दरवाजे के ऊपर उत्कीर्ण
मुनि जयन्तविजय -वही, लेखाङ्क ४५८ ७-स० १५२१ वर्षे भाद्रपद सुदि पडवेदिन। नांदियापुरवास्तव्य
प्राग्वाटज्ञातीय व्य० दूल्हा भार्या दूली पुत्र व्य० जूठाकेन भार्या जसमादे भ्रातृ व्य० मउवा झाला वरजांगषेतादिकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे । श्रीमहावीरप्रासादे देवकुलिका कारिता ।। प्रतिष्ठास्थान --महावीर जिनालय- पहली देहरी के दरवाजे के
ऊपर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय--वही, लेखाङ्क ४६० ८-सं० १५२९ वर्षे मा० व० ३ गुरौ दिने । प्राग्वाटज्ञातीय सीदरथाग्रामवास्तव्य . .
. कुटुम्बयुतेन श्रीमहावीरप्रासादे देवकुलिका कारिता स्वश्रेयोर्थं श्रीतपागच्छनायक श्री श्रीरत्नशेखरसूरि · ... ... .श्रीश्रीश्रीसोमजयसूरि( भिः )। प्रतिष्ठास्थान --महावीर जिनालय-द्वितीय देहरी के दरवाजे पर
उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय--पूर्वोक्त, लेखाङ्क ४६३ ९--सितिणिसी ( शी ) लवंता ( त्या ) च सद ( द् ) भावभक्तिसंजुता
( क्तियुक्तया)। जिनगृहे से (0) लस्थंभा ( स्तंभो ) द्वौ मंडपस्तभि ( स्तभो ) था ( स्था) पिताः ( तो)॥ प्रतिष्ठास्थान-महावीर जिनालय-सभामंडप के दायीं ओर
द्वितीय स्तम्भ पर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय-वही, लेखाङ्क ४६७
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