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समीक्षा wirrrr..
अर्थ-जैसे अनार्य कहिये म्लेच्छ है सो म्लेच्छ भाषा बिना सिंधु वस्तूका स्वरूप ग्रहण करावनेकू असमर्थ हूजिये तैसे व्यवहार विना परमार्थका उपदेश करनेकू समर्थ नहीं हूजिये हैं:
टीका-जैसे प्रगटपणे कोई म्लेच्छ कू काहू ब्राह्मण स्वस्ति होऊ ऐसा शब्द कहा से म्लेच्छ तिस शब्द का वाच्य वाचक सम्बन्ध का ज्ञानतें वाह्य है ताते ताका अर्थ किच्छूभी न पावत संता ब्राह्मण की तरफ मेंढा की ज्यों नेत्र उघाडि टिमकारे विना देखता रहा जो याने कहा कह्या, तव तिस ब्राह्मण की भाषा तथा म्लेच्छ की भाषा दोऊ का एक अर्थ जानने वाला सोही ब्राह्मण तथा अन्य कोई तिस म्लेच्छभाषाकू लेकर स्वस्ति शब्द का अर्थ ऐसा कह्या जो तेरा अविनाश कल्याण होऊ ऐसा याका अर्थ है तब सो म्लेच्छ तत्काल उपज्या जो बहुत आनन्द तिसमयी जो अश्रुपात तिसकरि झलकते भरि आये हैं लोचन पात्र जाक ऐसा हुआ संता तिस स्वस्तिशब्द का अर्थ समझेहो है। तैसे हा व्यवहारी है सोऊ आत्मा ऐसा शब्द कहतेसंते जैसा जैसा आत्मा. शब्द का अर्थ है ताका ज्ञान के वाह्य वर्ते हैं तातें याका अर्थ कछु न पावता संता मींढे की ज्यों नेत्र उघाडि टिमकारे विना देखता हो रहे । अर जव व्यहार परमार्थ मार्ग विषै चलाया सम्यग्ज्ञान रूप महारथ जाने ऐसा सारथी सारिखा सोही प्राचार्य तथा अन्य कोई आचार्य व्यवहार मार्ग में तिष्ट करि दर्शन ज्ञान चाचित्र कृ निरंतर प्राप्तहो सो आत्मा है ऐसा आत्मशब्द का अर्थ कहै जब तत्कालही उपज्यां प्रचुर मानन्द जामें पाईये ऐसा अन्तरंग विषे सुन्दर अर वन्धुर कहिये प्रवन्ध रूप ज्ञान रूप तरंग जाके ऐसा व्यबहारी जन सोतिस आत्मशब्द का अर्थ पावेहो । ऐसे जगत तो म्लेच्छस्थानीय जानना बहुरि व्यवहारनय म्लेच्छ भाषास्था
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