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(१९३) श्रीवीरचैत्य में वासुपूज्यमन्दिर की धातु पंचतीर्थियाँ
सं० १५०५ माघ शु. ९ शनिश्चरवार के दिन धंधुका निवासी श्रीमालज्ञातीय व्यव० पर्वत भार्या खीमलदेवी पुत्री मांजुबाईने अपने कल्याणार्थ आगमगच्छीय श्री हेमरत्नमरिगुरु के उपदेश से श्रीसुविधिनाथ का पंचतीर्थी विंब प्रतिष्ठित करवाया।
(२) सं० १५१५ ज्येष्ठ शु० ९ शुक्रवार के दिन गुर्जरवाड़ा निवासी श्रीमालज्ञातीय व्यव० जेसा भार्या जानूदे पुत्र मूल चंदने पूर्णिमागच्छीय श्रीसाधुरत्नमरि के उपदेश से श्रीसु. विधिनाथ का पंचतीर्थी विम्ब करवा कर उसकी प्रतिष्ठा करवाई।
सं० १५१३ पौषकृ० ५ रविवार को श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्ठि-महाजन धना, सारंग, गेला, धर्मा, राजा, ददा, नारद आदि कुटुम्बियोंने चैत्रगच्छीय श्रीलक्ष्मीदेवमरि के द्वारा पूर्वज सांगा के निमित्त श्रीअजितनाथ प्रतिमा(पंचतीर्थी) प्रतिष्ठित करवाई।
"Aho Shrut Gyanam"