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(२०३) पद्रनगर निवासी श्रीश्रीमालक्षातीय आजु( अर्जुन ) सखा न्य० मेघा पुत्र आशा भा० अमरीबाईने अपने कल्याणार्थ जीवितस्वामि-श्रीचन्द्रप्रभस्वामी का बिम्ब करवाया, जो श्रीपूर्णिमापक्षीय भ० श्रीसुमतिनाथप्रभसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित हुआ।
(३२) सं० १५१६ संघवी गेलाने ( पूर्णिमापक्षीय) श्रीगुणधीरसरि के उपदेश से श्रीगौतमस्वामी का बिम्ब सपरिकर करवाया।
(३३) सं० १६५१ फाल्गुनकृ० १० शनिवार के दिन थिरापद्र निवासीने श्रीमुनिसुव्रतस्वामी का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया ।
(३४) सं० १२९१ माघ शु० ५ गुरुवार के दिन पिष्पल. गच्छानुयायी व्य० वीरा( वीरचन्द्र ) पुत्र झांझणने तथा पुत्र नेनक, नेढक, ब्रह्मा, केथुने तथा आम्रदेवने श्रीऋषभ. देव के मन्दिर में दो कायोत्सर्गस्थ जिन-बिम्ब करवाये । इस चैत्य का जीर्णोद्धार वला अभयकुमार आदि कुटुम्ब समुदायने करवाया। प्रतिष्ठाकार्य श्रीसर्वदेवसूरि के द्वारा हुआ।
लेख में दो कायोत्सर्गस्थ प्रतिमा होने का उल्लेख है, परन्तु वर्तमान में यह एक ही प्रतिमा विद्यमान है जो
"Aho Shrut Gyanam"