________________
( २४३ )
माणिकदेवी के पुत्र ठाकुरसिंहने मार्या पातूदेवी, पुत्र वानरराज आदि सहित श्रीसोमसुन्दरसूरि द्वारा श्रीसुमतिनाथस्वामी का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया ।
( १६४ )
सं० १४८२ वैशाखकृ० ४ के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० देवराजने पिता आपमल, माता ऊमादेवी, पितृव्यरणसिंह के श्रेयार्थ पिष्पलगच्छीय श्रीसागरभद्रसूरि द्वारा श्री संभवनाथजी का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया ।
( १६५ )
सं० १५२७ कार्तिकक्रु० ५ सोमवार के दिन थिरापद्रगच्छानुयायी श्रीश्रीमालज्ञातीय वृद्धशाखीय व्य० कर्माण मा० हमीरदेव के पुत्र नामराजने अपने पिता माता के श्रेयार्थ श्री अजितनाथप्रभु का विम्ब श्रीविजयसिंहसूर के पट्टधर श्री शान्तिनाथसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया ।
( १६६ )
सं० १५५२ फाल्गुनशु० ३ के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय नियूगोत्रीय व्य० जीता भा० वानूदेवी पुत्र भीमराज मा० वरजूदेवी द्वि० भार्या कामलदेवी के पुत्र रामचन्द्र, रंगराजने कंछोली पूर्णिमापक्षीय भड्डा० श्रीविजयराजसूरि के द्वारा श्रीसुमतिनाथजी का विम्ब प्रतिष्ठित करवाया ।
"Aho Shrut Gyanam"