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(३४४) अधिष्ठायक मूर्ति__ सं० १३४४ ज्येष्ठशु० १० बुधवार के दिन श्रे० लक्ष्मणने अधिष्ठायक मूर्ति करवाई ।
(३४५) नेसड़ा (पालनपुर ) के पार्श्वनाथ चैत्य में धातुमयमूर्ति
सं० १२४४ माघ शु० १० सोमवार के दिन श्री. प्रसनसरि के द्वारा डीसावाल श्रे० राणा पुत्र आशपाल, भ्राता प्रेमसेन, शा० कलत्र रत्नदेवने भार्या सिरियादेवी के कल्याणार्थ यह चतुर्विशतिजिनप्रतिमा प्रतिष्ठित करवाई।
कलत्र का यहाँ क्या अर्थ होता हैं, यह अस्पष्ट है। वैसे कलत्र का प्रचलित अर्थ स्त्री है यहाँ आशपाल और प्रेम सेन के कुटुम्बी जन से अर्थ लिया हुआ अधिक संगत है।
सं० १३६९ फाल्गुन कृ. ५ सोमवार के दिन श्रीमुनिचन्द्रसूरि के उपदेशसे श्रीमरि के द्वारा श्रीमालज्ञातीय श्रावक सजनने पिता खेता (क्षेत्रसिंह) माता लच्छवाई के कल्याणार्थ श्रीआदिनाथपंचतीर्थी प्रतिमा प्रतिष्ठित करवाई।
"Aho Shrut Gyanam"