Book Title: Jain Pratima Lekh Sangraha
Author(s): Yatindrasuri, Daulatsinh Lodha
Publisher: Yatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
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२३९
मशुद्ध भापू भांजीबाई धनतिलकसरि अयने आपदा धनराज प्राग्वाठ मेहण भं० लणा शा पटचतुष्किका सोमपुर
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शुख मापू मांजीबाई २४० घनतिलकसरि २४८ अपने २५२ आल्हा २५४ घनराज २५६ प्राग्वाट
२५६ मेहण
२५८ मं.. लुणा २८३ शा०
२८९ षट्चतुष्किका सोमपुरा दो कायोत्सर्गस्थ ३०० सेलवाड़ा ३०१ मडाहडिय ३०३ जिनहा झांझाने ३०४ मिलता है लगता
३०५ कल्याणार्थ श्रीसोमसुन्दरसूरि ३१९ - ------
सकका २९९
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३०३
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सेलाबाडा मंडाडिया जिनहा झांझाने मिलता है लमता कल्याणार्थ. श्रीसोमसुन्दरि
३०५
"Aho Shrut Gyanam"

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