________________
गच्छीय श्रीगुणसमुद्रसूरि के द्वारा वाराही ग्राम निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय सोरतियागोत्र के अं. मोकल मार्या सोहागदेवी पुत्र गोईद( गोविन्द )ने माता, पिता, पितृष्यज (चचेरी भाई) तिहुण( त्रिभुवन) मार्या मांगूदेवी के कल्याणार्थ श्रीकुन्थुनाथचतुर्विंशतिजिनपट्ट प्रतिष्ठित करवाया।
(३६६)
सं० १६६५ वैशाखशु० ६ के दिन राजपुर में श्री. श्रीमालज्ञातीय शाह वहोला नागा भार्या पूनीवाई पुत्र शिवसिंहने भार्या रत्नादेवी पुत्र मेघसिंह भार्या वीरादेवी प्रमुख कुटुम्ब सहित (सर्व या स्व) कल्याणार्थ श्रीपार्थनाथ (पंचतीर्थी) बिम्ब करवाया जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय भट्टारक श्रीहीरविजयसूरि के. पट्ट को सुशोभित करनेवाले भट्टारक श्रीविजयसोमसूरि के द्वारा हुई।
(३६७)
सं० १५८२ वैशाखशु० १० शुक्रवार के दिन लूंदाग्राम निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य. वलूटा भार्या मांबाई पुत्र सोभा भार्या सुहवदेवी पुत्र श्रीपाल भार्या श्री. देवीने अपने पूर्वजों के आत्मकल्याणार्थ श्रीनमिनाथ (पंच. तीर्थी) बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा चैत्रगच्छ में धरणपद्रीय भ. श्रीविजयदेवसरि के द्वारा हुई।
"Aho Shrut Gyanam"