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( ३०८ )
भूः उ ठं क' और सीढ़ी के पासवाले स्तंभ पर 'सा जस बबल संघपति ' ये दो लेख उत्कीर्णित हैं, परन्तु इनके रचना अर्थ समझ में नहीं आये, इसलिये इनका अनुवाद छोड़ दिया है।
भीलड़ियाग्राम के गृहमन्दिर में मूलनायक -
इस गृहमन्दिर में मूलनायक प्रतिमा के अतिरिक्त आदिनाथ और चन्द्रप्रभु की प्रतिमायें दोनों ओर विराजमान हैं । इन तीनों प्रतिमाओं के लेख एक ही हैं ।
( ३४२ )
सं० १८९२ वैशाखशु० १३ शुक्रवार के दिन भीलड़ी के तपागच्छीय समस्त महाजन संघने श्रीनेमिनाथजी की प्रतिमा करवाई । श्रीईडरनगर में चन्द्रप्रभस्वामी और श्रीआदिनाथस्वामी के बिम्बों की अंजनशलाका हुई ऐसा इन लेखों से सिद्ध होता है ।
( ३४३ )
अम्बिका की मूर्ति
सं० १३४४ ज्येष्ठशु० १० बुधवार के दिन श्रे० लक्ष्मणसिंहने अम्बिका की मूर्चि करवाई ।
"Aho Shrut Gyanam"