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(३४७) वात्यम (दियोदर) के चैत्य में पंचतीर्थी
सं० १४४९ वैशाख शु०६ शुक्रवार के दिन अंचल गच्छ के श्रीमेरुतुङ्गसरि के उपदेश से श्रीसूरि के द्वारा शाला. शाह ठ० राणा भार्या भोलीदेवी पुत्र विक्रमसिंहने अपने माता पिता के कल्याणार्थ श्रीमहावीस्वामी (पंचतीर्थी) बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया।
(३४८) ___ सं० १७८२ वैशाख शुरु पूर्णिमा गुरुवार के दिन पं०श्रीजयविजयजी, पं०श्रीशुक्ल विजयजी, पं० श्रीनित्यविजयजी, पं० श्रीहीरविजयजी, पं० श्रीजीवविजयजी की पादुकायें प्रतिष्ठित हुई।
वासणा (पालनपुर) के चन्द्रप्रभचैत्य में
सं० १२४० माघशु० १३ के दिन लखमसी( लक्ष्मणसिंह), रणसी(रणसिंह) श्रे० पोण(सिंह) और देपाल(सिंह)ने श्रीयशोदेवसूरि के द्वारा (धातुपंचतीर्थी) प्रतिष्ठित करवाई।
(३५०) मूलनायक प्रतिमा... सं० १९५५ फाल्गुनकु. ५ गुरुवार के दिन प्रारबाट
"Aho Shrut Gyanam"