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(२५०) श्रेयार्थ अंचलगच्छीय श्रीसिद्धान्तसागरसूरि के उपदेश से श्रीकुन्थुनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसको संघने प्रतिष्ठित करवाया।
(१९०) सं० १४९९ कार्तिकशु० पूर्णिमा गुरुवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० अर्जुनदेव मा० काश्मीरदेवी पुत्र सायर पौत्र धनराजने अपने पितामह के तथा अपने श्रेयार्थ श्रीधान्तिनाथजी का बिम्ब पिष्पलगच्छीय त्रिमविया म० श्रीधर्मशेखरसरि द्वारा प्रतिष्ठित करवाया ।
(१९१) सं० १५१५ कार्चिककृ०१४ शुक्रवार के दिन भावडार. गच्छानुयायी श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० मेहाजलने भा० लाछूबाई, पुत्र पूना, गंगा, सांगा, और पितृव्य गेला सहित अपने श्रेयार्थ श्रीशीतलनाथजी का विम्ब श्रीवीरसूरि के पट्टधर श्री. जिनदेवसरि द्वारा प्रतिष्ठित करवाया ।
(१९२) __सं० १३७७ चैत्रक० ८ भृगुवार के दिन साखुला. गोत्रीय शा० कर्मसिंह भा० चरणश्री के पुत्र शा० झांझणने श्रीदेवरि के द्वारा श्रीपार्श्वनाथजी का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया।
"Aho Shrut Gyanam"