Book Title: Jain Pratima Lekh Sangraha
Author(s): Yatindrasuri, Daulatsinh Lodha
Publisher: Yatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad

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Page 314
________________ ( ३०१ ) श्रे० यापु भार्या देवीने श्रीवर्धमानस्वामी की प्रतिमा करवाई जो आहनगोत्रीय सहदेवने श्रीदेवाचार्य के द्वारा लोटाणक ( पुरस्थ ) आदिनाथ के मन्दिर में प्रतिष्ठित करवाई । ( ३२१ ) धातुमय पंचतीर्थी सं० १०११ में प्राग्वाट शा० नल का पुत्र सिंहदेव भार्या जामलदेवीने श्री शान्तिनाथ ( पंचतीर्थी ) प्रतिमा उपकेशगच्छीय श्रीदेवगुप्तसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाई | ( ३२२ ) सेलाबड़ा (सिरोही) धातुचतुर्विंशति सं० (१३)२८ वैशाखकृ० ५ गुरुवार के दिन ब्रह्माणगच्छीय श्रीविमलसूरि के पट्टधर म० श्रीबुद्धिसूरि के द्वारा राणपुरनिवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० भूमव भार्या गूरीदेवी का पुत्र सरवण भार्या टमकुदेवी पुत्र धर्मा और ऊदा पितृव्य जूगणजीने श्रीधर्मनाथ चतुर्विंशतिजिनपट्ट प्रतिष्ठित करवाया । इस लेख का संवत् घिस जाने से पढ़ने में नहीं आया और २८ जो पढ़ने में आया वह भी भ्रमात्मक तो नहीं है। जवाणगच्छ के श्रीविमलसूरि के कुछ लेख जिनविजयजीने "Aho Shrut Gyanam"

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