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देवकुलिका नं० ५२
सं० १४८३ भाद्रपदक ७ गुरुवार के दिन वीसा भार्या वामदेवी, गोष्ठी सोनानी हीरा ।
( ३१४ )
सं० १४९२ मार्गशिरकृ० १४ रविवार के दिन घोधाग्रामनिवासी आड़ भार्या अहड़देवी पुत्री झमकुबाईने शिखर
करवाया ।
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देवकुलिका के छआ में -वामादेवी के पुत्र सीहड़ गोष्ठीने देवकुलिका करवाई |
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मूलजिनालय के पीछे देवकुलिका के स्तम्भ पर
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सं० १४८७ अरिहन्तों को नमस्कार हो । गून्दी कर पीपलगच्छ में त्रिभविया श्रीधर्मशेखरसूरि के शिष्य वाचक देवचन्द्र मुद्राकला से और तालध्वजीय वाचक सहजसुन्दर अर्हन्तों और जिनेश्वरों को नित्य वन्दन करता है ।
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पटचतुष्किका के स्तम्भ पर
सं० १८५१ आवादशुक्ला पूर्णिमा के दिन श्रीजीरा
"Aho Shrut Gyanam"