Book Title: Jain Pratima Lekh Sangraha
Author(s): Yatindrasuri, Daulatsinh Lodha
Publisher: Yatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad

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Page 312
________________ ( २९९ ) ( ३१३ ) देवकुलिका नं० ५२ सं० १४८३ भाद्रपदक ७ गुरुवार के दिन वीसा भार्या वामदेवी, गोष्ठी सोनानी हीरा । ( ३१४ ) सं० १४९२ मार्गशिरकृ० १४ रविवार के दिन घोधाग्रामनिवासी आड़ भार्या अहड़देवी पुत्री झमकुबाईने शिखर करवाया । ( ३१५ ) देवकुलिका के छआ में -वामादेवी के पुत्र सीहड़ गोष्ठीने देवकुलिका करवाई | ( ३१६ ) मूलजिनालय के पीछे देवकुलिका के स्तम्भ पर aldais सं० १४८७ अरिहन्तों को नमस्कार हो । गून्दी कर पीपलगच्छ में त्रिभविया श्रीधर्मशेखरसूरि के शिष्य वाचक देवचन्द्र मुद्राकला से और तालध्वजीय वाचक सहजसुन्दर अर्हन्तों और जिनेश्वरों को नित्य वन्दन करता है । ( ३१७ ) पटचतुष्किका के स्तम्भ पर सं० १८५१ आवादशुक्ला पूर्णिमा के दिन श्रीजीरा "Aho Shrut Gyanam"

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