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(२००) सं० १२१७ वैशाखकृ०१ के दिन ब्रह्माणगच्छीय श्रीप्रद्युम्नमरि के द्वारा व्य० जोगराज के पुत्र विणुचन्द्र के श्रेयार्थ ( बिम्ब ) प्रतिष्ठित करवाया ।
(२०१) . सं० १४१२ ज्येष्ठशु० १३ गुरुवार के दिन श्रे० लूणसिंह""पाल के पुत्र विजयराजने अपने कल्याणार्थ श्री. अम्बिकाजी का बिम्ब श्रीमाणिक्यसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया।
(२०२) सं० १४३७ वैशाखशु० ११ सोमवार के दिन श्रीश्री. मालक्षातीय कालदेवने पितृव्य तथा माता किसलदेवी के श्रेयार्थ पिष्पलगच्छनायक श्रीजेयतिलकसूरि के द्वारा श्रीऋषमदेवजी का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया।
(२०३) सं०१२६१ में शान्तू आसल सं० धारणने (बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया ।)
१ बुद्धिसागरजी के जैनघातुप्रतिमालेखसंग्रह के द्वितीयभाग के लेखाइ ९३१ में जयतिलक को धर्मतिलक भी लिखा है।
"Aho Shrut Gyanam"