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(२९२) सन्तानीय श्रीककसरि के पट्ट को सुशोभित करनेवाले भीदेवगुप्तहरि के उपदेश से उपकेशज्ञातीय चीवटगोत्र के वीसट के वंशज सा० लखमण पुत्र आजद पुत्र शा० गोसल पुत्र शा० देसल भार्या मोली पुत्र शा० सहज, शा० माहण, शा० समर शा० माहण भार्या मावलदेवी पुत्र सं० धना, शा० कडुआ, शा. लिम्बा, भगिनी मुकतू आदि के सहित साची मावलदेवी के द्वारा श्रीपार्श्वनाथचैत्य में आत्मकल्याण के लिये देवकुलिका करवाई (व्यय समस्ने किया अधिक संभाव्य है)
चीवट गोत्र वंशवृक्ष
लखमण
आजड़
गोसल
देसल ( भोलीदेवी)
माहण ( भावलदेवी)
सहज माहण ( भावलदेवी) धाकडआ लिम्बा मुकदेवी
समर
धन्ना
कडुआ.
लिम्बा
मुकतूदेवी
सं० १४८३ वैशाखक० ७ के दिन बृहत्तपागच्छाधिपति श्रीदेवसुन्दरमरि के पट्टधरों में मुकुट के समान श्री
"Aho Shrut Gyanam"