Book Title: Jain Pratima Lekh Sangraha
Author(s): Yatindrasuri, Daulatsinh Lodha
Publisher: Yatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad

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Page 303
________________ ( २९० ) में तीन देवकुलिकायें बनवाने का स्पष्ट उल्लेख है, परन्तु ऐसा जान पड़ता है कि दो देवकुलिका उपरोक्त लेख लगाने के बाद में बनवाई गई हों और बाद में उन पर लेख उत्कीर्णित हुए हों। मीठड़िया गोत्रवंश का वृक्ष इस प्रकार है डीडा 1 नागराज मीठड़ियावंशगोत्रवृक्ष | संग्राम तेजा ( तेजलदेवी ) सलखमण I नरसिंह ( कौतिकदेवी) वीमा भूरा काला गांगा पासदत्त जीवराज पासा जिनदास ( ३०१ ) देवदत्त देवकुलिका नं० ३५. सं० १४८३ वैशाख कृ० १३ गुरुवार के दिन अंचलगच्छ के श्री मेरुतुङ्गसूरि के पट्टधर श्रीजयकीर्तिसूरि के उपदेश से स्तम्भतीर्थ निवासी श्रीमालीज्ञातीय परीक्षक अमरा भा० माऊ के पुत्र परीक्षक गोपाल, प० राउल, प० ढोला भार्या हिचकू पुत्र प० पूना भार्या ऊंदी, प० सोमा, "Aho Shrut Gyanam"

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