Book Title: Jain Pratima Lekh Sangraha
Author(s): Yatindrasuri, Daulatsinh Lodha
Publisher: Yatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad

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Page 283
________________ (२७०) पूर्णिमापक्षीय भीमपल्लीय भट्टा० श्रीचारित्रचन्द्रसूरि के पट्टधर भ० श्रीमुनिचन्द्रसरि के उपदेश से हुई । (२६१) सं० १५१९ माघशु०५ सोमवार के दिन थिरापद्रनगर निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय गांधिक हापराज मा० हमीरदेवी के पुत्र जागराजने स्वभा० यमुनादेवी पुत्र वेला, ऊगम, मादा खेता के सहित पिता, माता, भ्राता मंडन के श्रेयार्थ श्रीधर्मनाथचतुर्विशति जिनपट्ट करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पूर्णिमापक्षीय प्रधान भट्टा० श्रीजयसिंहमूरि के पट्टघर श्रीजयप्रभसूरि के उपदेश से हुई। मोदियों की सेरी के विमलनाथचैत्य में धातुमूर्तियाँ (२६२) सं० १५१५ फाल्गुनशु० ४ शनिवार के दिन श्रीश्रीभालज्ञातीय रत्नपाल भा. रत्नादेवी के पुत्र शाह गागचने मा० ललितादेवी, पुत्र गौवल भा० रूपिणी के श्रेयार्थ, प्राता सं० हूंगरने मा० शांझदेवी पुत्र गोपा सहित मोजा, विजयराजने श्रीनभिनाथमुख्य चतुर्विंशतिजिनपट्ट करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पूर्णिमापक्षीय श्रीसाधुरत्नमरि के पट्टधर श्रीसाधुसुन्दरमरि के उपदेश से सचिनगर में हुई । (प्रतीत "Aho Shrut Gyanam"

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