Book Title: Jain Pratima Lekh Sangraha
Author(s): Yatindrasuri, Daulatsinh Lodha
Publisher: Yatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad

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Page 282
________________ (२६९) ( २५७) सं० १६८३ वैशाखशु०७ गुरुवार के दिन राजधन्यपुर (राधनपुर) निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय शा. हरदासने भा० हीरादे सहित श्रीशीतलनाथजी का विम्ब प्रतिष्ठित करवाया ................(यहाँ आचार्य का नाम होना चाहिये) ( २५८) सं० १५६७ ज्येष्ठशु० ५ बुधवार के दिन मृलसंघीय शा० हीरादेवीने (पंचतीर्थी करवाई) (२५९) सं० १२०९ उहूल की पुत्री दोलिकाने (दौलतदेवी) यह चतुर्विंशतिजिनपट्ट करवाया । राशिया की सेरी के अभिनन्दन चैत्य में धातुमूर्तियाँ (२६०) सं० १५५३ आषाढशु० २ शुक्रवार के दिन पत्तननिवासी प्राग्वाटज्ञातीय वृद्धशाखा में सं० सेंगा भा० हरखू पुत्र सं० अमा (अमृतराज) ने मा० लीलादेवी पुत्र क्षेमा, सिन्धु, लखमण, अलवा, धना सहित अपने कल्याणार्थ श्रीमुनिसुव्रतस्वामी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा "Aho Shrut Gyanam"

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