________________
( २८३ )
लेखात आठ में वर्णित वंश में प्रसिद्ध पुरुष धणसींह ही इस लेख में वर्णित धणसिंह है । अन्तर इतना ही हैं कि इस लेख में गोत्र दिया है और उसमें नहीं। दोनों कुल एक ही संतति के हैं ।
( २८६ )
देवकुलिका नं० १५
××××××× कलवग्रनिवासी ओसवालज्ञातीय मं० मलुसिंह की सन्तति में सं० रतना मा० वीरूबाई के पुत्र आमलसिंहने अपने पुत्र सं० गुणराज सं० इंसराज के. सहित पार्श्वप्रभु की कृपा से जीरावलाचैत्य में देवकुलिका बनवाई।
( २८७ )
देवकुलिका नं० १७
सं० १४७४ श्रावण शु० ५ शनिवार के दिन खरतर - पक्षीय मं० लूणा सन्तान में मं० डूला, हापल सन्तान में मं० मूला पुत्र भीमा, हीरु, चाल्हण मं० हीराने...
R
1
( २८८ )
देवकुलिका नं० १८
सं० १४८३ भाद्रपद कृ० ७ गुरुवार के दिन कृष्णर्षि
"Aho Shrut Gyanam"