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हातीय व्य० वीरदेव मा० श्रृंगारदेवी के पुत्र वीरमदेव मा० हेमदेवी के पुत्र वेलराजने पिता माता के श्रेयार्थ श्रीवासुपूज्य स्वामी की पंचतीर्थी करवाई, जिसकी प्रतिष्ठा पूर्णिमापक्षीय श्रीरत्नशेखरहरि के उपदेश से हुई।।
(२४७) सं० १५८१ माघशु० ५गुरुवार के दिन आदियाणपुर• निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय महं० रत्नराज पुत्र....मा० प्रीतमदेवीने अपने कुटुम्बीजनों के श्रेयार्थ श्रीमुनिसुव्रतस्वामी की पंचतीर्थी आगमगच्छीय श्रीसोमरत्नमरि के उपदेश से प्रतिष्ठित करवाई।
(२४८) सं० १५०७ वैशाखशु० ११ सोमवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्या जयंतराज भा० वामृणदेवी के पुत्र आल्हणदेवने अपने पिता माता के तथा अपने श्रेयार्थ पिपलगच्छीय त्रिभविया भट्टा० श्रीचन्द्रप्रभसूरि के द्वारा श्रीवासुपूज्यस्वामी का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया।
(२४९) सं०१३९२ वैशाख कृ. ७ शुक्रवार के दिन श्रीमालज्ञातीय श्रे० वयरणसिंह भा० विजयादेवी....पिता माता के श्रेयार्थ भीपार्श्वनाथ प्रभु का बिम्ब श्रीदेवेन्द्रसरि के पट्टधर श्रीजिनचन्द्रवरि.के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया।
"Aho Shrut Gyanam"