________________
(२६३) सामन्तराज मा० कमीदेवी के पुत्र वत्सराजने स्वमा० द्वीपदेवी, रत्नदेवी, माता हीराके पुत्र ठाकुरदेव प्रमुख कुटुम्बी जनों के सहित श्रीविमलनाथ प्रभु का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छनायक श्रीलक्ष्मीसागरसूरिने की।
(२३७) सं० १४४८ कार्तिकशु० ३ बुधवार के दिन अंचलगच्छीय श्रीजयकीर्तिसूरि के उपदेश से नागरज्ञातीय परीक्षकगोत्रीय व्य० धंधराजने मा० आल्हणदेवी, पुत्र हापराज के श्रेयार्थ श्रीअभिनन्दनस्वामी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीमरिने की।
(२३८) सं० १४९९ कार्तिकक० २ रविवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य. वासरदेव मा. रामलदेवी (के पुत्र) धनराजने भ्राता तेजपाल के श्रेयार्थ पिष्पलगच्छीय त्रिमविया श्रीधर्मशेखरसूरि के द्वारा श्रीशीतलनाथजी का विन थिरापद्रनगर में प्रतिष्ठित करवाया।
(२३९) सं० १५२० वैशाखशु० ५ बुधवार के दिन श्रीश्री. वंशीय ठ० कन्हैयालाल पुत्र सारंगदेव भा० हरखादेवी के पुत्र महिराज सुश्रावकने स्वमा० कुंवरदेवी, भ्राता शिवराज,
"Aho Shrut Gyanam"