________________
( २५७ )
चन्द्रप्रभस्वामी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा चैत्रगच्छीय म० श्रीरत्नदेवसूरि के पट्टधर भट्टा० श्रीअमरदेवरने की ।
( २१४ )
सं० १५२५ माघकृ० ६ दिन चांपानेरनिवासी गुर्जरज्ञातीय महाजन नरसिंहने स्वभा० आशूबाई, पुत्र जिनकाम, पुत्र पद्मकिरण, श्रीवत्सराज, पहिराज आदि स्वपरिजनों सहित अपने श्रेयार्थ श्रीनमिनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय श्रीलक्ष्मीसागरसूरिने की ।
( २१५ )
सं० १५३३ वैशाखशु० ६ शुक्रवार के दिन श्रीश्रीमाल ज्ञातीय श्रे० कर्मसिंह भा० लाडूबाई पुत्र थे० भ्रमरराजने मा० देसलबाई सहित अपने पिता-माता के तथा स्वश्रेयार्थ श्री सुविधिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा 'नागेन्द्रगच्छीय भ० श्रीगुणदेवसूरिने थिरापद्रनगर में की।
( २१६ )
सं० १२४४ फाल्गुनशु० ३ बुधवार के दिन आम्रयक्ष पुत्र आमूने अपनी माता राजिमति के श्रेयार्थ प्रभुबिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीमतिप्रभरिने की ।
१७
"Aho Shrut Gyanam"