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सं० १५४५ फाल्गुन कृ० २ भोमवार के दिन गांफग्राम निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० भीमराज भा० नागिनी पुत्र कन्हैया भा० पुतलीबाईने अपने माता पिता के श्रेयार्थ श्रीनमिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी सविधि प्रतिष्ठा पूर्णिमापक्षीय श्री साधुसुन्दरारि के पट्टधर श्री श्री श्रीदेवसुन्दरसूरि के उपदेश से हुई ।
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सं० १४८१ पौषकृ० ८ शुक्रवार के दिन श्रीश्रीमाल - ज्ञातीय व्य० विरूआ भा० भ्रमरदेवी के पुत्र बृहद्रथने अपने माता पिता के श्रेयार्थ श्रीसंभवनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा नागेन्द्रगच्छीय श्रीपद्यानन्दसूरिने की । ( २१९ )
सं० १५०३ ज्येष्ठशु० ९ बुधवार के दिन व्य० मेहण मा० माल्हणदेवी के पुत्र मंडनने अपने पुत्र धीरजराज के सहित अपने श्रेयार्थ श्रीसुमतिनाथजी का बिम्व करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा बृहदगच्छीय सत्यपुरीय भट्टा० श्रीपार्श्वचन्द्रसूरिने की ।
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सं० १५१३ माघशु० ३ शुक्रवार के दिन उपकेश
"Aho Shrut Gyanam"