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( १९३) सं० १३१४ वैशाखशु० ९ बुधवार के दिन ओसवालज्ञातीय ठाकुर श्रीदेल्हा मा० सुहदादेवी के पुत्र शा० झांझणदेवने अपने पूर्वजों के श्रेयार्थ श्रीजयवल्लमसूरि द्वारा श्रीपनप्रभस्वामि का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया ।
__ सं० १५४७ वैशाखशु० ३ सोमवार के दिन प्राग्वाटज्ञातीय डीसाग्रामनिवासी व्य० लक्ष्मणने स्वभार्या रमकू. देवी, पुत्र लीवराज भा० टमकूदेवी, तेजराज, जिनदत्त, सोमराज, सूरदेव आदि सहित अपने कल्याणार्थ श्रीशान्ति. नाथजी का विम्ब अंचलगच्छीय श्रीसिद्धान्तसागरमरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया।
(१९५) सं० १५१७ मार्गसिरशु० १० सोमवार के दिन उएसवंशीय शा० राणा भा० राणलदेवि के पुत्र सुश्रावक खरहस्थने स्वभार्या माणिकदेवी तथा पुत्र लक्ष्मण सहित अंचल गच्छीय श्री जयकेशरसूरि के उपदेश से श्री चन्द्रप्रमस्वामी का विम्ब अपने पिता के श्रेयार्थ करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीसंघने करवाई।
(१९६) सं० १४९४ श्रावणकृ०९ रविवार के दिन श्रीश्रीमाल
"Aho Shrut Gyanam"