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माता के श्रेयार्थ श्रीमहावीरप्रभु का बिम्ब श्रीपार्श्वचन्द्रसरि के उपदेश से प्रतिष्ठित करवाया।
(१७१) सं० १५२९ माषशु०१ बुधवार के दिन ब्रह्माणगच्छानुयायी श्रीमालज्ञातीय श्रे० भावराज मा० भावलदेवी के पुत्र रामाशाहने स्वभार्या लाडीदेवी के श्रेयार्थ पुत्र बरजू सहित निज पूर्वजों के श्रेयार्थ श्रीसंभवनाथजी का बिम्ब श्रीविमलहरि के पधर श्रीवृद्धिसागरसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया ।
(१७२) सं० १५३२ वैशाखशु० १३ सोमवार के दिन थारापद्रगच्छानुयायी श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य. ठाकुरसिंह भा० पाल्हणदेवी के पुत्र उदयसिंहने मा० अहिवदेवी, पितृव्य फांफराज, कालूराज, झालिया के श्रेयार्थ श्रीशान्तिसरि के द्वारा श्रीअजितनाथजी का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया।
(१७३) सं० १२०४ वैशाखशु० ३ गुरुवार के दिन पंडेरकगच्छानुयायी देल्हा भा० देल्हीबाई के पुत्र रत्नसिंह के श्रेयार्थ कुंवरसिंहने श्रीपार्श्वनाथजी का विम्ब श्रीशान्तिमरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया।
(१७४) सं० १५१३ वैशाख शु० ३ के दिन मूलसंघ में सर
"Aho Shrut Gyanam"