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( २४६) स्वतीगच्छीय कुन्दकुन्दाचार्यसन्तानीय भट्टा० श्रीसकलकीर्ति के पट्टधर विमलेन्द्रकीर्तिगुरु के द्वारा हूम्बरबातीय श्रे० पद मा० बानूदेवी, पुत्र काला भा० बाल्हीदेवी, भ्राता कीका भा० गोमतिदेवी, भ्राता शिवसिंह, प्राता पूनमचन्द्र, वत्सराजने श्रीश्रेयांसनाथनी का बिम्ब करवाया। (यह मर्ति दिगंबरसम्प्रदाय की है)।
(१७५) सं० १५३७ ज्येष्ठ शु०२ सोमवार के दिन वीरवंशीय श्रे० रत्ना मा० रत्नूदेवी पुत्र श्रे० धनराज सुश्रावकने भा० धनीवाई पुत्र पार्श्वदेव पबराज सहित अपनी भार्या के भेयार्थ अंचलगच्छीय श्रीजयकेशरपरि के उपदेश से श्रीसुमतिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसको श्रावस्तीनगर में श्री संघने प्रतिष्ठित किया ।
(१७६) सं० १४८५ माघ ०९ गुरुवार के दिन भावडारगच्छानुयायी श्रीश्रीमालझातीय व्यव. धरणदेव मा. कर्णदेवी के पुत्र पुण्यपालने पुत्र हीरा, हरदेव, यशपाल तथा माता पिता के श्रेयार्थ श्रीविजयसिंहपरि के द्वारा श्री. संभवनाथजी का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया।
(१७७) सं० १५९१ पौषक० १० बुधवार के दिन श्रीश्रीमाल
"Aho Shrut Gyanam"