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जातीय धाँधलियागोत्र में ठकुर हरिराज पुत्र 30 हापराज 3. जयपाल के श्रेयार्थ उ० हेमराजने श्रीअजितनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा खरतरगच्छीय म. श्री. जिनवल्लभसरिने की।
(१३७) सं० १५३७ वैशाखशु० १० सोमवार के दिन श्रीवीर. वंशीय श्रे० मोखा (मोक्षराज) भा० रामतीबाई के पुत्र सुश्रावक देवराजने पुत्र नारद पूना सहित अपने श्रेयार्थ श्रीअंचलगच्छीय श्रीजयकेशरसूरि के उपदेश से श्रीअनन्तनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पत्तननगर में श्रीसंघने करवाई।
(१३८) सं० १५२७ माघकृ० ७ रविवार के दिन उपकेश-. बातीय व्य० मांडन भा० कर्णवाई पुत्र मोका भा. अदीबाई द्वितीया भा० समृपाई के पुत्र आल्हणने माता पांचा सहित अपने श्रेयार्थ श्रीसंभवनाथजी का बिमा करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा जीरापल्लीय श्रीउदयचन्द्रसरि के पट्टधर भट्टा० श्रीसागरचन्द्रमरिने की।
(१३९) सं० १५०५ वैशाखक०९ शुक्रवार के दिन थिरापद्र..
"Aho Shrut Gyanam"