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(१३३) सं० १५१३ माघशु० ३ शुक्रवार के दिन वराउद्रग्राम निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० सूरा मा० नाड़ीबाई के पुत्र हापराजने स्वभा० कालीदेवी, पुत्र समधर, सहसा, वरदेव, वीरा, पंवायन, महीराज सहित अपने पिता माता के श्रेयार्थ श्रीआदिनाथप्रभु का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा प्रमाणगच्छीय श्रीमणिचन्द्रमरिने की।
(१३४) सं० १५२७ पौषकृ० ४ गुरुवार के दिन श्रीश्रीमाल. ज्ञातीय सिद्धशाखा में व्यव० ददा मा० माणिकदेवी के पुत्र राणाने अपने भ्राता के सहित अपने श्रेयार्थ श्रीसुमतिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिपलगच्छीय श्री विजयदेववरि के शिष्य शालिमद्रसरिने की।
(१३५) सं० १५३४ पौषकृ० १० के दिन संखारु ग्राम निवासी भे० भांजा मा० माल्हणदेवी पुत्र मावड़ मा० तंवीवाईने अपने श्रेयार्थ श्रीआदिनाथप्रभु का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा महा० श्रीलक्ष्मीसागरसूरिने की।
(१३६) सं० १४५० माघक० ९ सोमवार के दिन श्रीमाल
"Aho Shrut Gyanam"