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नाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छा. चार्य श्री मुनिप्रभसरिने की ।
(१०३) सं० १४६२ वैशाखशु० ५ शुक्रवार के दिन प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० प्रलेपनदेव भा० साथलदेवी के पुत्र भापलदेवने श्रीआदिनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा भडाहराग्राम में श्रीहरिभद्रसूरिने की ।
(१०४) सं० १५०६ वैशाखशु०६ सोमवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० लाखा भार्या पातलीबाई के पुत्र कीकाने अपने कल्याणार्थ श्रीनमिनाथजीका बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीजिनमाणिक्यमूरिने की।
(१०५) सं. १४३० माघक०८ सोमवार के दिन ओसवालजातीय व्य० आशधर भा० रामलदेवी के पुत्र सादराजने पितृजनों के श्रेयार्थ भीआदिनाथप्रभु का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिप्पलाचार्य श्रीधर्मदेवसरिसन्तानीय भी प्रीतिसूरिने की।
"Aho Shrut Gyanam"