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(२३०) श्रीअंचलगच्छीय श्रीजयकेशरसूरि के उपदेश से श्रीसंभव. नाथप्रभु का विम्ब प्रतिष्ठित करवाया।
(१२१) ___ सं० १५११ माघशु० ५ गुरुवार के दिन श्रीश्रीमाल. ज्ञातीय व्यव० कर्मसिंह भा० मदीबाई पुत्र वाधा (व्याघ्रसिंह ने अपने पिता माता के श्रेयार्थ श्रीअजितनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीपू०भट्टा० राजतिलकभूरि के उपदेश से श्रीमरिने थिरापद्रनगर में की।
(१२२) सं० १५६० वैशाखशु० ३ बुधवार के दिन श्रीश्री. मालज्ञातीय व्य० सारंगदेव भा० रंगीवाई के पुत्र लक्ष्मणने स्वभार्या पालूबाई पुत्र रहिया, देवपाल सहित अपने पिता के और अपने श्रेयार्थ श्रीशान्तिनाथप्रभु का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा नागेन्द्रगच्छीय म० श्रीसोमरत्नमरि के पट्टघर मट्टा० श्री हेमसिंहमूरिने की।
(१२३) सं०१५२१ ज्येष्ठशु० ९ सोमवार के दिन पूंजपुरनिवासी उपकेशज्ञाति में नाहरगोत्रीय कुशलराज भा० केल्हणदेवी के पुत्र माहणराजने अपने पितृव्य के तथा अपने श्रेयार्थ भी. धर्मघोषगच्छीय श्रीपमानन्दसरि के द्वारा श्रीसुमतिनाथ प्रभु का विम्ब प्रतिष्ठित करवाया।
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