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( २०४) भव्य, अति चमत्कार पूर्ण और श्वेतवर्ण ६८ इंची बड़ी प्रस्तर प्रतिमा है। इस समय यह वीरप्रभु के मंदिर में उनके दहिने भाग में स्थापित है। वीरप्रभु की विशाल प्रतिमा के लिये एक निशिखरी मन्दिर थरादसंघ की ओर से बन रहा रहा है, उसीमें वीरप्रभु के साथ यह प्रतिमा स्थापित होगी। आदिनाथचैत्य में चौवीशी-पंचतिथियाँ
(३५) सं० १५१९ माघक०२ शनिवार के दिन कोहरनिवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० लापा भा० लाछादेवी पुत्र वास्ता, हाला, भा० हमीरदेवी पुत्र वेला, गेला ने वेला की स्त्री वयजलदेवी सहित पिता, भ्राहगण और पूर्वजों के श्रेयार्थ श्रीशीतलनाथ चतुर्विंशतिपट्ट करवाया, जो पिष्पलगच्छीय श्रीमुनिसुन्दरसूरि के पट्टधर श्रीअमरचन्द्रसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित हुआ।
सं० १५१५ वैशाखकृ० २ गुरुवार के दिन सत्यपुर ( सांचोर ) निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय परीक्षक खेता मा० खेतलदेवी पुत्र ईश्वर मा० राजलदेवी पुत्र मोकल भा० महिगलदेवीने पुत्र वऊला सहित अपने पितृजनों के कल्याणार्थ जीवितस्वामि श्रीआदिनाथ चतुर्विंशतिपट्ट करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय श्रीचन्द्रप्रमसरि द्वारा हुई।
"Aho Shrut Gyanam"