________________
(२०२) बाई पुत्र मोजा(भोजराज) ने मा० लाछीबाई, पुत्र नाथा, सजन सहित पिता माता के कल्याणार्थ श्रीशान्तिनाथ का बिम्ब करवाया, जो पूर्णिमागच्छीय क्षीमाणियाभट्टा० श्रीजयशेखरभूरि के उपदेश से लायताग्राम में प्रतिष्ठित हुआ।
(२९) सं० १५८० वैशाख शु० १३ शुक्रवार के दिन श्री. श्रीमालज्ञातीय मं० हीरा मा० राखीवाई पुत्र महं० हेमा भा० हमीरदे पुत्र मं. तेजाने मा० नीतिचाई, पुत्र इंगर, मुंगर, भाणा सहित अपने कल्याणार्थ श्रीसुपार्श्वनाथ का धिम्म पूर्णिमागच्छीय श्रीपुण्यरत्नमरि के पट्टाधीश श्रीसुमतिरत्नसरि के उपदेश से विधिपूर्वक प्रतिष्ठित करवाया।
(३०) सं० १५१७ वैशाखशु० ३ कालुमा निवासी प्राग्वाटजातीय व्य० कुंपा भा० रुडीबाई पुत्र देवसी( देवसिंह) मा० वाहीवाई पुत्र देपाल( देवपाल )ने भांडा( भंडपाल) आदि कुटुम्ब सहित अपने कल्याणार्थ श्रीविमलनाथ का विम्ब करवाया, जो तपागच्छीय श्रीरत्नशेखरसूरि के पट्टधर श्रीलक्ष्मीसागरसरि द्वारा प्रतिष्ठित हुआ।
(३१) ... सं० १५६३ फाल्गुन शु० ८ शनिवार के दिन थिरा
"Aho Shrut Gyanam"